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Tuesday, November 25, 2008

जायेंगे जेल अगर अभी भी नहीं सुधरे तो

मैंने अपनी पिछली पोस्ट में उस दिवास्वप्न का जिक्र किया था जिसमें मैं अपने परिवार के साथ यमुना में नौका विहार कर रहा था. दिल्ली निवासियों ने, दिल्ली उद्योग ने, दिल्ली सरकार ने यमुना को इतना प्रदूषित कर दिया है कि इस दिवास्वप्न के सच होने की कल्पना भी नही की जा सकती. क्या यमुना कभी साफ़ नहीं होगी? क्या सारे शहर का और उद्योगों का कचरा ऐसे ही यमुना में डाला जाता रहेगा? 

आज अखबार में एक ख़बर पढ़ कर कुछ आशा जगी है. अदालत ने दिल्ली जल बोर्ड के तीन उच्च अधिकारियों को दो सप्ताह की जेल की सजा सुनाई है. इन पर २०-२० हजार रुपए का जुर्माना भी किया गया है. जुर्माने का पैसा इन की तनख्वाह से काटा जायेगा. यह अधिकारी हैं - एक्स सीईओ अरुण माथुर, चीफ इंजिनियर आर के जैन और एक्जीक्यूटिव इंजिनियर पी पन्त. एक और अधिकारी बी एम् धौल को इस लिए माफ़ कर दिया गया क्योंकि वह रिटायर हो चुके हैं. मेरे विचार में सजा इन्हें भी मिलनी चाहिए थी.  

फिलहाल अदालत ने यह सजा तीन महीने के लिए मुल्तबी कर दी है और यह आदेश दिया है कि इस दौरान दिल्ली जल बोर्ड यमुना में कचरा डालने को बिल्कुल बंद कर देगा. अगर ऐसा नहीं हुआ तो गए यह अधिकारी जेल.   

अदालत ने इस बात पर भी नाराजगी जतायी है कि दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते और सजा से बचने के लिए झूठे बहाने बनाते हैं. अदालत के अनुसार बोर्ड में भ्रष्टाचार गहराई तक अपनी जड़े जमा चुका है. अब यह आशा कि जा सकती है कि बोर्ड कुछ करेगा क्योंकि अब उस के अधिकारियों पर सजा की तलवार लटक रही है. किसी ने सही कहा है - भय बिन होत न प्रीत. 

Sunday, November 23, 2008

दिवास्वप्न - यमुना में नौका विहार

आज सुबह हवन किया. हवन के बाद की गई प्रार्थना में निम्नलिखित पंक्तिया आती हैं:
"वायु जल सर्वत्र हों शुभ गंध को धारण किए"
हवन वातावरण को शुद्ध करता है. हवन करके हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वायु और जल शुद्ध हों, और हमेशा उन में एक शुभ गंध व्याप्त रहे. 

दिन भर में यही सोचता रहा. वायु और जल प्रदूषण आज एक बिकट समस्या बन गई है. हर समय हर व्यक्ति वायु और जल को प्रदूषित कर रहा है. सरकार भी अपना पूर्ण योगदान दे रही है. कुछ दिन पहले दिल्ली विकास प्राधिकरण ने पश्चिम पुरी स्थित अपने डिस्ट्रिक्ट पार्क में कूड़ा जलाया और वायु को जम कर प्रदूषित किया. कुछ फोटो दिखाऊँगा कभी आपको इस महान प्रदूषण कार्यक्रम के.  

यमुना के बारे में तो क्या बात करना? यमुना साफ़ करने के नाम पर सरकार, उसके अधिकारियों, उस के नेताओं ने  जनता का करोड़ों रुपया साफ़ कर दिया; और यमुना और गन्दी हो गई. राजीव गाँधी के गंगा सफाई अभियान के नाम पर अपनी जेबें भरने के बाद अब मनमोहन जी गंगा पर दूसरी इनिंग्स खेलने की घोषणा कर चुके हैं. देखिये इस बार गंगा कितनी गन्दी होती है. मैं सोचता रहा और सोचते-सोचते आँख लग गई.

एक दिवास्वप्न देखा. अवकाश का दिन है. धूप निकली है. हलकी-हलकी हवा चल रही है. हवा में एक मनमोहक गंध है. बच्चों ने कहा कि हम यमुना जायेंगे नौका विहार करने. सो निकल पड़े. यमुना किनारे पहुंचे. लगा जैसे सारी दिल्ली यमुना किनारे आ गई है. लोग हंस-खेल रहे हैं. गुब्बारे वाले जम कर बिक्री कर रहे हैं. आसमान में रंग-बिरंगी पतंगें लहरा रही हैं. सब तरफ़ खुशी का माहौल है. यमुना का पानी इतना साफ़ है कि अपने चेहरा देख लो. बहुत से लोग  नौकाओं में विहार कर रहे हैं. हमने भी एक नौका ली. मीठी धूप, हलकी बहती हवा, और यमुना के पानी की हल्की सी ठंडक, लगा जैसे स्वर्ग धरती पर उतर आया है. खूब आनंद किया. शाम होते घर लौट आए. मेरी भी आँख खुल गई.

'चाय पियोगे?', पत्नी पूछ रही थी. 'अब दिन में भी सपने देखते रहते हो'. 

'चाय, हाँ जरूर', मैंने कहा. 'अब तो सपनों में ही देख सकते हैं यह सब'. 

Monday, November 17, 2008

किस की और ईशारा है यहाँ?

आज एक ब्लाग 'युग-विमर्श' पर एक पोस्ट आई है - "गिरफ़्तारी पे उसकी इस क़दर बेचैनियाँ क्यों हैं."

पता नहीं किस की और ईशारा कर रहे हैं डॉ. शैलेश ज़ैदी जो इस ब्लाग के अनुसार हैं प्रोफेसर एवं पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष तथा डीन, फैकल्टी आफ आर्ट्स, मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ. इस रचना की आखिरी दो लाइनों पर आप का ध्यान चाहूँगा:
दलित हों या मुसलमाँ या वो सिख हों या हों ईसाई,
सभी के साथ तनहा आप ही ईज़ा-रसां क्यों हैं.

कुछ अंदाजा तो लगता है. क्या ख्याल है आप का? 

समझौता एक्सप्रेस में आरडीएक्स इस्तेमाल ही नहीं हुआ

मुझे कुछ देर पहले यह मेल मिला:

"एटीएस ने नासिक कोर्ट में शनिवार को दावा किया कि समझौता एक्सप्रेस में धमाके के लिए इस्तेमाल किया गया आरडीएक्स लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित ने मुहैया कराया था। 19 फरवरी 2007 को हुए समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट में 68 लोग मारे गए थे।
आतंक की गहरी साजिश का पर्दाफाश करने के लिए IBN7 ने इस खबर की पूरी तहकीकात की। तहकीकात में ये पता चला कि समझौता एक्सप्रेस धमाकों में आरडीएक्स का इस्तेमाल ही नहीं किया गया था। यानी एटीएस सरासर झूठ बोल रही है।
नासिक कोर्ट में एटीएस के वकील ने दावा किया कि भगवा आतंक की ब्रिगेड के मददगार फौजी लेफ्टिनेंट कर्नल पी एस पुरोहित के पास 60 किलो आरडीएक्स था। उस आरडीएक्स को पुरोहित ने भारत और पाकिस्तान के बीच दोस्ती की मिसाल बनीं समझौता एक्सप्रेस में 2007 में हुए धमाके के लिए मुहैया करवाया था।
दरअसल समझौता एक्सप्रेस धमाकों में अमोनियम नाइट्रेट और सल्फयूरिक एसिड के साथ केरोसिन ऑयल का इस्तेमाल किया गया था। मकसद था कि जब चलती ट्रेन में बम फटे तो आग लगने से ज्यादा से ज्यादा लोग मारे जाएं और यही हुआ भी था। बम फटा और ट्रेन की दो बोगियों में भयानक आग लग गई थी। जिसमें 68 लोग मारे गए थे।
इसके अलावा 19 फरवरी 2007 को जांच एजेंसियों को ब्लास्ट के बाद ट्रेन से सूटकेसों में भरे दो जिंदा बम मिले थे। और उन बमों में भी आरडीएक्स का एक कण तक इस्तेमाल नहीं किया गया था। फिर मुंबई एटीएस का ये बयान मजबूरी में दे रही है या फिर कोई राजनीतिक दबाव में आकर।
साथ ही एटीएस ने ये भी दावा किया कि फौजी पुरोहित ने 60 किलो आरडीएक्स किसी भगवान नाम के शख्स को दिया था। सवाल ये है कि भगवान नाम का ये शख्स कौन और कहां हैं। कहीं ये शख्स मुंबई एटीएस की दिमागी उड़ान का नतीजा तो नहीं है।
गौरतलब है कि समझौता एक्सप्रेस में ब्लास्ट के बाद जब भारत-पाक सचिवों की बैठक हुई थी तो खुद देश के तत्कालीन विदेश सचिव शिवशंकर मेनन ने धमाकों के पीछे पाकिस्तान में बैठे रसूल पार्थी का नाम लिया था।" 

अब तो सब कुछ साफ़ हो रहा है. यह एक ईसाई द्वारा संचालित कांग्रेस सरकार का षड़यंत्र है हिन्दुओं को बदनाम करके मुसलमानों के वोट बटोरने का.  

Sunday, November 16, 2008

क्या प्रेम बार-बार नफरत से हारेगा?

वर्ष २००८ बीतने को है. पिछले सालों की तरह इस बार भी प्रेम नफरत से हार गया. अहिंसा हिंसा से हार गई.

मैंने साल के शुरू में कुछ विश की थीं. उनमें से कुछ एक बार फ़िर दोहराता हूँ:
ब्लू-लाइन बस के नीचे आ कर कोई न मरे,
किसी वरिष्ट नागरिक की हत्या न हो,
किसी बच्चे पर अत्त्याचार न हो,
किसी स्त्री पर अत्त्याचार न हो,
सड़क पर गुस्से में हिंसा न हो,
पुलिस किसी असहाय नागरिक पर अत्त्याचार न करे,
किसी से भेद भाव न हो,
कोई आतंकवादी हमला न हो.

कोई विश पूरी नहीं हुई. कितने निर्दोष नागरिकों की जान गई. कितनी निजी और राष्ट्रीय संपत्ति का नुक्सान हुआ. ईश्वर से प्रार्थना है की वर्ष २००८ का बाकी बचा समय शान्ति से बीत जाए. वर्ष २००९ में फ़िर यही विश करूंगा और ईश्वर से प्रार्थना करूंगा की इस बात तो मेरी विश पूरी कर दो. 
 

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