पिछल प्रसंग में आपने पढ़ा कि अमरेन्द्र ने अपने नामांकन पत्र और शपथ पत्रों की प्रतिलिपि सुधांशु को सौंप दी थी. इनकी प्रतिलिपियाँ अब लगभग सबके पास उपलब्ध थीं. लोग इन की बात कर रहे थे. कुछ इनका मजाक उड़ा रहे थे. कुछ बहुत ज्यादा उत्साहित थे. मैं भी अपने अन्दर एक उत्साह और नई चेतना का अनुभव कर रहा था. टीवी चेनल ने यह घोहना कर दी थी कि अब प्रतिदिन एक कार्यक्रम दिखाया जायेगा जिस में अमरेन्द्र अपने विचार रखेंगे, अपने कार्यक्रम और नीतियों से सबको परिचित कराएँगे, और लोग उनसे सवाल पूछ सकेंगे.
आज के कार्यक्रम में अमरेन्द्र ने कहा, 'आज भारतीय समाज में मानवीय संबंधों की संकट-स्थिति चल रही है. परिवार के अन्दर, परिवार के बाहर, मोहल्ले में, शहर में, देश में, स्कूलों में, दफ्तरों में, यहाँ तक की लोक सभा और विधान सभाओं में भी मानवीय सम्बन्ध कटुता की हर सीमा पार कर चुके हैं. सड़क पर जरा सी बात पर जिन्दगी मौत में बदल दी जाती है. लालच ने मानवीय संबंधों की बलि चढा दी है. ऐसे वातावरण में जन प्रतिनिधिओं का यह कर्तव्य बन जाता है कि वह मानवीय संबंधों के उच्च आदर्श स्थापित करें. इस के लिए उन्हें अपने निजी "मानवीय सम्बन्ध घोषणापत्र" जारी करने चाहियें और यह शपथ लेनी चाहिए कि वह इस घोषणापत्र में किये गए संकल्पों को हर हाल में पूरा करेंगे.
मैंने जिस घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किये हैं वह है:
"मानवीय संबंधों का घोषणापत्र
मैं, अमरेन्द्र, भारत देश का एक गर्वान्वित नागरिक, यह शपथ लेता हूँ कि -
- मेरे जीवन का उद्देश्य होगा - हर चेहरे पर मुस्कान लाना, और इस के लिए मैं, अपनी पूरी क्षमता, सामर्थ्य और योग्यता से भारतीय नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में लगातार सुधार करने के लिए अनवरत प्रयत्न करूंगा.
- इस के लिए, 'चुनाव जीतूंगा तभी ऐसा करूंगा' जैसी कोई शर्त नहीं होगी. चुनाव जीतूँ या न जीतूँ, मैं इस कार्य में अनवरत लगा रहूँगा.
- मैं प्रेमपूर्ण मानवीय संबंधों को सर्वोच्च प्राथमिकता देता हूँ.
- मैं यह मानता हूँ कि विकास दीर्घकालिक और चिरस्थायी होना चाहिए.
- विकास का फल हर नागरिक को मिलना चाहिए.
- ऐसा तब तक संभव नहीं है जब तक हमारे एक दूसरे से सम्बन्ध प्रेमपूर्ण न हों.
- मेरा सम्बन्ध हर दूसरे व्यक्ति से तीन स्तर पर होगा - व्यक्तिगत, सामाजिक, राष्ट्रीय.
- व्यक्तिगत स्तर पर यह सम्बन्ध इंसानियत और भलमनसाहत के सिद्धांतों पर आधारित होगा, क्योंकि हर दूसरा व्यक्ति मेरी तरह ही एक इंसान है.
- सामाजिक स्तर पर यह सम्बन्ध शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के सिद्धांतों पर आधारित होगा, क्योंकि मेरी तरह हर दूसरा व्यक्ति इस महान भारतीय समाज का सदस्य है.
- राष्ट्रीय स्तर पर यह सम्बन्ध राष्ट्रीयता के सिद्धांतों पर आधारित होगा, क्योंकि मेरी तरह हर दूसरा व्यक्ति इस महान भारत राष्ट्र का नागरिक है.
- हर दूसरे व्यक्ति के साथ मेरा व्यवहार इन सिद्धांतों पर आधारित होगा.
- मेरा धर्म, मेरा रहन-सहन, मेरी भाषा, मेरी व्यक्तिगत आस्था का हिस्सा होंगे.
- हर दूसरे व्यक्ति का धर्म, रहन-सहन, भाषा उसकी व्यक्तिगत आस्था का हिस्सा होंगे, मैं उनका आदर करूंगा और कभी ऐसा कोई काम नहीं करूंगा जिस से उनकी भावनाएं आहत हों.
- मेरी हर व्यक्तिगत आस्था, हर दूसरे व्यक्ति के साथ मेरे संबंधों को और मजबूत बनाएगी.
- इन संबंधों को आधार बनाकर मैं एक ऐसे समाज के निर्माण के लिए कार्य करूंगा जहाँ कोई अन्याय, भेद-भाव और शोषण न हो, जहाँ हर नागरिक राष्ट्र निर्माण में सहभागी हो."
क्रमशः