मुझे कुछ देर पहले यह मेल मिला:
"एटीएस ने नासिक कोर्ट में शनिवार को दावा किया कि समझौता एक्सप्रेस में धमाके के लिए इस्तेमाल किया गया आरडीएक्स लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित ने मुहैया कराया था। 19 फरवरी 2007 को हुए समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट में 68 लोग मारे गए थे।
आतंक की गहरी साजिश का पर्दाफाश करने के लिए IBN7 ने इस खबर की पूरी तहकीकात की। तहकीकात में ये पता चला कि समझौता एक्सप्रेस धमाकों में आरडीएक्स का इस्तेमाल ही नहीं किया गया था। यानी एटीएस सरासर झूठ बोल रही है।
नासिक कोर्ट में एटीएस के वकील ने दावा किया कि भगवा आतंक की ब्रिगेड के मददगार फौजी लेफ्टिनेंट कर्नल पी एस पुरोहित के पास 60 किलो आरडीएक्स था। उस आरडीएक्स को पुरोहित ने भारत और पाकिस्तान के बीच दोस्ती की मिसाल बनीं समझौता एक्सप्रेस में 2007 में हुए धमाके के लिए मुहैया करवाया था।
दरअसल समझौता एक्सप्रेस धमाकों में अमोनियम नाइट्रेट और सल्फयूरिक एसिड के साथ केरोसिन ऑयल का इस्तेमाल किया गया था। मकसद था कि जब चलती ट्रेन में बम फटे तो आग लगने से ज्यादा से ज्यादा लोग मारे जाएं और यही हुआ भी था। बम फटा और ट्रेन की दो बोगियों में भयानक आग लग गई थी। जिसमें 68 लोग मारे गए थे।
इसके अलावा 19 फरवरी 2007 को जांच एजेंसियों को ब्लास्ट के बाद ट्रेन से सूटकेसों में भरे दो जिंदा बम मिले थे। और उन बमों में भी आरडीएक्स का एक कण तक इस्तेमाल नहीं किया गया था। फिर मुंबई एटीएस का ये बयान मजबूरी में दे रही है या फिर कोई राजनीतिक दबाव में आकर।
साथ ही एटीएस ने ये भी दावा किया कि फौजी पुरोहित ने 60 किलो आरडीएक्स किसी भगवान नाम के शख्स को दिया था। सवाल ये है कि भगवान नाम का ये शख्स कौन और कहां हैं। कहीं ये शख्स मुंबई एटीएस की दिमागी उड़ान का नतीजा तो नहीं है।
गौरतलब है कि समझौता एक्सप्रेस में ब्लास्ट के बाद जब भारत-पाक सचिवों की बैठक हुई थी तो खुद देश के तत्कालीन विदेश सचिव शिवशंकर मेनन ने धमाकों के पीछे पाकिस्तान में बैठे रसूल पार्थी का नाम लिया था।"
अब तो सब कुछ साफ़ हो रहा है. यह एक ईसाई द्वारा संचालित कांग्रेस सरकार का षड़यंत्र है हिन्दुओं को बदनाम करके मुसलमानों के वोट बटोरने का.
1 comment:
सरकारी जांच एजेंसी धीरे-धीरे नंगी हो रही है. मकसद सिर्फ़ हिन्दुओं को बदनाम करना है, जिस से मुसलमान खुश हो जाएँ और कांग्रेस को वोट दे दें. यह मुसलमान कौम भी अजीब है, अपने फायदे का कम, हिन्दुओं के नुक्सान का ज्यादा सोचती है.
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