आज सुबह हवन किया. हवन के बाद की गई प्रार्थना में निम्नलिखित पंक्तिया आती हैं:
"वायु जल सर्वत्र हों शुभ गंध को धारण किए"
हवन वातावरण को शुद्ध करता है. हवन करके हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वायु और जल शुद्ध हों, और हमेशा उन में एक शुभ गंध व्याप्त रहे.
दिन भर में यही सोचता रहा. वायु और जल प्रदूषण आज एक बिकट समस्या बन गई है. हर समय हर व्यक्ति वायु और जल को प्रदूषित कर रहा है. सरकार भी अपना पूर्ण योगदान दे रही है. कुछ दिन पहले दिल्ली विकास प्राधिकरण ने पश्चिम पुरी स्थित अपने डिस्ट्रिक्ट पार्क में कूड़ा जलाया और वायु को जम कर प्रदूषित किया. कुछ फोटो दिखाऊँगा कभी आपको इस महान प्रदूषण कार्यक्रम के.
यमुना के बारे में तो क्या बात करना? यमुना साफ़ करने के नाम पर सरकार, उसके अधिकारियों, उस के नेताओं ने जनता का करोड़ों रुपया साफ़ कर दिया; और यमुना और गन्दी हो गई. राजीव गाँधी के गंगा सफाई अभियान के नाम पर अपनी जेबें भरने के बाद अब मनमोहन जी गंगा पर दूसरी इनिंग्स खेलने की घोषणा कर चुके हैं. देखिये इस बार गंगा कितनी गन्दी होती है. मैं सोचता रहा और सोचते-सोचते आँख लग गई.
एक दिवास्वप्न देखा. अवकाश का दिन है. धूप निकली है. हलकी-हलकी हवा चल रही है. हवा में एक मनमोहक गंध है. बच्चों ने कहा कि हम यमुना जायेंगे नौका विहार करने. सो निकल पड़े. यमुना किनारे पहुंचे. लगा जैसे सारी दिल्ली यमुना किनारे आ गई है. लोग हंस-खेल रहे हैं. गुब्बारे वाले जम कर बिक्री कर रहे हैं. आसमान में रंग-बिरंगी पतंगें लहरा रही हैं. सब तरफ़ खुशी का माहौल है. यमुना का पानी इतना साफ़ है कि अपने चेहरा देख लो. बहुत से लोग नौकाओं में विहार कर रहे हैं. हमने भी एक नौका ली. मीठी धूप, हलकी बहती हवा, और यमुना के पानी की हल्की सी ठंडक, लगा जैसे स्वर्ग धरती पर उतर आया है. खूब आनंद किया. शाम होते घर लौट आए. मेरी भी आँख खुल गई.
'चाय पियोगे?', पत्नी पूछ रही थी. 'अब दिन में भी सपने देखते रहते हो'.
'चाय, हाँ जरूर', मैंने कहा. 'अब तो सपनों में ही देख सकते हैं यह सब'.
1 comment:
Very nice. kaash aapka divaswapn sach ho jaay.
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